कितना ही मुश्किल होता होगा अपनी बेटी को किसी और के घर विदा करना। कितना ही मुश्किल होता होगा अपनी बेटी को किसी और के घर विदा करना।
उस दिन सब बदल सा गया, और शायद तब मैं सही में पिता बन गया ! उस दिन सब बदल सा गया, और शायद तब मैं सही में पिता बन गया !
सिर्फ इस कविता को स्वर्ग से ही ग्रहण करें और एक बार बड़ी जोर से बोलिए ताकि मुझे सुनाई सिर्फ इस कविता को स्वर्ग से ही ग्रहण करें और एक बार बड़ी जोर से बोलिए ताकि म...
मेरी गुड़िया है गुड़ जैसी जितना घोलता हूँ जिंदगी मीठी हो जाती है. मेरी गुड़िया है गुड़ जैसी जितना घोलता हूँ जिंदगी मीठी हो जाती है.
ना रस्मों रिवाजों से सरोकार उनका अपने मन में खुद सरकार है उनका ! ना रस्मों रिवाजों से सरोकार उनका अपने मन में खुद सरकार है उनका !
मां की कमी पिता पूरी नही कर सकता... मां की कमी पिता पूरी नही कर सकता...